चैत्र नवरात्रि 2025 महत्व :
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर राम नवमी तक नवरात्रि का व्रत चलता है । इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा होती है और प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप से जुड़ा होता है | इस अवधि के दौरान भक्त व्रत रखते हैं, अनुष्ठान करते हैं और प्रार्थना करते हैं। इन नौ दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का भी बहुत महत्व है । प्रतिपदा के दिन घट स्थापना / कलश स्थापना तथा जौ बोने की क्रिया भक्तों द्वारा की जाती है ।
जिस प्रकार चैत्र मास चंद्रमा की उपस्थिति के कारण शुभ होता है, उसी प्रकार इस दौरान किए गए सभी कार्य अच्छे परिणाम देते हैं | हमारे पंचांग में पहला महीना चैत्र के नाम से जाना जाता है, ऐसा माना जाता है कि इस दौरान माँ दुर्गा धरती पर वास करती हैं | पूरे भारत में हम नववर्ष मनाते हैं, सूर्य सभी राशियों की यात्रा शुरू करता है, यह नई शुरुआत, साधना और गहन आध्यात्मिक अनुष्ठानों का समय है | चैत्र नवरात्रि को कश्मीरी पंडित नवरेह, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में उगादी कहते हैं।
चैत्र नवरात्रि 2025 घट स्थापना / कलश स्थापना
30 मार्च 2025, रविवार को चैत्र घटस्थापना
घटस्थापना मुहूर्त- 06:15 से 10:21 तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – 12:03 से 12:50 तक
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि को पड़ता है
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 29 मार्च 2025 को शाम 04:25 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 30 मार्च, 2025 को दोपहर 12:45 बजे
- (ज्योतिष के अनुसार अभिजीत मुहूर्त 48 मिनट की अवधि है जिसे अत्यधिक शुभ और नकारात्मक प्रभावों से मुक्त माना जाता है )
चैत्र नवरात्रि 2025 पूजा एवं पाठ विधि :
इस तरह से करेंगे चैत्र नवरात्रि 2025 में पूजा विधि तो माता रानी करेंगी विशेष कृपा :
** माँ दुर्गा के साधक भक्त को सबसे पहले स्नादि से शुद्ध होकर, शुद्ध वस्त्र पहनकर , श्री दुर्गा की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करना चाहिए | मूर्ति के दाहिने और कलश की स्थापना करनी चाहिए | कलश के ठीक सामने जौ बोन चाहिए | मंडप के पूर्व कोण में दीपक की स्थापना करें | गणपति जी की पूजा से आरम्भ करके सभी देवी – देवताओं की पूजा के बाद माँ जगदम्बा की पूजा करें |
भस्म , चंदन , रोली आदि का टीका मस्तक पर लगाकर पूजन आरम्भ करके | बिना टीका लगाए पूजन नहीं करना चाहिए |
**इस चैत्र नवरात्रि 2025 जानते है दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का सही तरीका :
हम दुर्गा सप्तशती का जाप करते हैं, दुर्गा सप्तशती जिसमें 13 अध्याय हैं, शुरू करने से पहले हमें देव्या कवचम्, अर्गलास्त्रोत्रम् और कीलकम का पाठ करना चाहिए। उसके बाद हमें 13 अध्याय 9 दिनों में समाप्त करने चाहिए। पहले दिन अध्याय 1 पढ़ें। दूसरे दिन अध्याय संख्या 2, 3, और 4। तीसरे दिन अध्याय संख्या 5 और 6 पढ़ें। चौथे दिन अध्याय 7 पढ़ें। पांचवें दिन अध्याय 8 पढ़ें। छठे दिन अध्याय संख्या 9 और 10 पढ़ें। सातवें दिन अध्याय 11 पढ़ें। आठवें दिन अध्याय 12 पढ़ें। और दिन 9 अध्याय संख्या 13 और क्षमा प्रार्थना पढ़ें। और एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रतिदिन एक अध्याय पढ़ने के बाद सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र का पाठ करें।
माँ दुर्गा हमारे सभी दुखों को दूर करें और वह हमारा मार्गदर्शन करें और हमें आशीर्वाद दें।
चैत्र नवरात्रि 2025 कलश स्थापना की विधि :
कलश स्थापना हम प्रतिपदा के शुभ दिन के एक तिहाई समय तक कर सकते है | घटस्थापना जिसे हम कलश स्थापना भी कहते है अमावस्य या फिर रात के समय करना वर्जित है | आईये जानते है कलश स्थापना की विधि :-
सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी का एक कलश लें I फिर कलश के गले में मौली बांधें। एक बार यह हो जाने के बाद कलश को गंगा जल या शुद्ध जल से ऊपर तक भर देते हैं। फिर उसमे हम सुपारी, हल्दी, सिक्का लौंग/इलायची और अंत में फूल डालते हैं। एक बार यह हो जाने पर हम पांच आम के पत्ते लेते हैं, आम के पत्तों पर हल्दी, कुमकुम लगाते हैं। फिर हम इसे कलश में रख देंगे |
यह सब कर लेने के बाद हम एक नारियल लेते हैं, अब नारियल को रखने के दो तरीके हैं, सिर हमेशा ऊपर होना चाहिए और पूंछ नीचे की ओर या तो ऊपर की ओर या सामने की ओर होनी चाहिए जो कि हमारी परंपरा पर निर्भर है। इसके ऊपर नारियल अच्छे से रख दीजिए. हम एक चुन्नी लेते हैं और इसे नारियल के चारों ओर लपेटते हैं। अंत में अखंडित चावल लेकर कलश उन चावलों पर रख देते है , इस विधि से कलश की स्थापना हो गई है।
जय माता दी !
श्री दुर्गा चालीसा पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे !
When is the ashtami?
5 April , Saturday