मकर संक्रांति महत्व , पूजा मुहूर्त एवं पूजा विधि:
पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी ” मकर संक्रांति “ होती है । वैसे संक्रांति हर महीने में होती है परंतु कर्क , मकर राशियों पर सूर्य जाने से विशेष महत्व होता है । यह संक्रमण क्रिया 6-6 महीने के अंतर से होती है । मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं । इसके पूर्व दक्षिणायन रहते हैं । सूर्य के उत्तरायण स्थित रहने पर दिन बड़े तथा रातें छोटी होती हैं । दक्षिणायन रहने पर रात्रि बड़ी व दिन छोटा होता है । अंग्रेजी तिथि के अनुसार मकर संक्रांति हमेशा 14 जनवरी को ही होती है ।
वैदिक कैलेंडर के अनुसार सूर्य ग्रहों का राजा है, मंगलवार 14 जनवरी को सुबह 9:05 बजे धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेगा और इसलिए इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा। इस वर्ष मकर संक्रांति 2025 का पुण्य काल दिन मंगलवार , 14 जनवरी , प्रातः 9 :05 से सांय 5:46 तक है |
मकर संक्रांति के दिन क्या करे ?
- इस दिन गंगा स्नान तथा ब्राह्मण , भिक्षुक आदि को दान देना चाहिए ।
- मकर संक्रांति के दिन नदी में गंगा या फिर अन्य पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है । इसके बाद जरूरतमंदों व गरीब लोगों में यथाशक्ति जूते , अन्न , टिल , गुड़ , गरम कपड़े , कंबल आदि का दान कर सकते है । ऐसा करने से साधक को भगवान सूर्य के साथ – साथ शनि देव की भी कृपा प्राप्त होती है।
- यदि नदी में स्नान करना संभव नहीं है , तो आप घर पर ही पानी में तिल और गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं ।
- मकर संक्रांति के दिन भगवान के मंदिर जाकर दर्शन करें ऐसा करने से ग्रह दोष दूर हो जाते हैं ।
- मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है |
- सूर्य देव की पूजा करने के बाद अंत में इस आरती को अवश्य पढ़े –
सूर्य देव आरती :
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
मकर संक्रांति को किन नामो से जाना जाता है ?
दक्षिणी भारत में इस पर्व को पोंगल कहा जाता है ।तमिलनाडु में मकर संक्रांति या संक्रांति को पोंगल के नाम से जाना जाता है। गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के नाम से जाना जाता है।
Good information.
Dhanyawad !