महाशिवरात्रि 2025 – This Mahashivratri takes special blessings from Supreme power.

महाशिवरात्रि 2025 पूजा विधि एवं महत्व :

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का महोत्सव मनाया जाता है | त्रियोदशी को एक बार भोजन करके चतुर्दशी को दिन भर अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए | इस दिन भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा का महत्व है |

महाशिवरात्रि के दिन काले तिलों से स्नान करके रात्रि में विधिवत शिव जी का पूजन करे | शिवजी के सबसे प्रिय पुष्पों में मदार , कनेर , बेलपत्र तथा मौलसिरी है | किन्तु पूजन विधान में बेलपत्र सबसे प्रमुख है | शिवजी पर पका आम चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है | शिव लिंग पर चढ़ाये गए पुष्प , फल तथा जल को नहीं ग्रहण करना चाहिए |

आईये जानते है इस वर्ष 2025 में महाशिवरात्रि कब है ?

महाशिवरात्री 2025 मुहूर्त :

26 फरवरी 2025, बुधवार को महाशिवरात्रि
निशिता काल पूजा समय – रात्रि 12:09 बजे से 12:59 बजे तक,

27 फरवरी को महाशिवरात्रि 2025 पारण का समय – प्रातः 06:48 बजे से प्रातः 08:54 बजे तक

महाशिवरात्रि 2025

 

2025 में इस तरह से करेंगे शिव बाबा की पूजा तो होगी विशेष कृपा :

महाशिवरात्रि 2025 की रात को चार प्रहरों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक प्रहर लगभग 3 घंटे का होता है।

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय – शाम 06:19 बजे से रात 09:26 बजे तक – उस समय सीमा के दौरान हम शिव भगवान को जल चढ़ाते हैं।

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का समय – रात्रि 09:26 बजे से रात्रि 12:34 बजे तक – इस दौरान हम शिवलिंग पर दही चढ़ाते हैं और जल भी चढ़ाते हैं।

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा का समय – 12:34 पूर्वाह्न से 03:41 पूर्वाह्न तक – इस समयावधि के दौरान हम शिवलिंग पर घी और जल चढ़ाते हैं।

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय – प्रातः 03:41 बजे से प्रातः 06:48 बजे तक – यह सबसे महत्वपूर्ण प्रहर है जब ब्रह्ममुहूर्त शुरू होता है, उस समय सीमा के दौरान हम जल के साथ शिवलिंग पर शहद चढ़ाते हैं।

ऐसा करते समय हमें बेलपत्र भी चढ़ाना चाहिए, “ओम नमः शिवाय”, “मृत्युंज्य मंत्र” का 108 बार जाप करना चाहिए।

महाशिवरात्रि 2025 का व्रत कैसे करें :

1. फलों और क्षारीय सब्जियों का सेवन करें।
2. शाम को क्षारीय सब्जी का सूप लें।
3. आप या तो शाम को या अगली सुबह अपना उपवास समाप्त कर सकते हैं |
4. एक समय में एक ही फल खाएं और फलों को मिक्स न करें।

महाशिवरात्रि 2025 व्रत कथा :

एक समय में एक नृशंस बहेलिया था जो नित्य अपने परिवार के पालन पोषण के लिए निरअपराध जीवों को मारता था । एक बार पूरे जंगल में विचरण करने पर भी जब उसे कोई शावक ना मिला तो क्षुधातुर एक तालाब के किनारे रहने लगा । इस स्थान पर एक बेल वृक्ष की शाखा पर चढ़कर अपनी अवासस्थली बनाने के लिए बेलपत्रो को तोड़ता हुआ शिवलिंग आच्छादित कर दिया । दिन भर के भूख से व्याकुल उसे बहरिया का एक प्रकार से शिवरात्रि व्रत पूरा हो गया ।

कुछ रात बीत जाने पर एक गाभिन हिरणी उधर आई । उसे देखते ही बहेलिया ने निशाना लगाया । जिझगती व्याकुल हिरनी दिन वाणी से बोली – ” हे ! व्याध मैं अभी गाभिन हूं , प्रसव बेला भी समीप है , इसलिए इस समय मुझे मत मारो , प्रजनन क्रिया के बाद शीघ्र ही आ जाऊंगी । बहेलिया उसकी बातों को मान गया ।

थोड़ी रात व्यतीत होने पर एक दूसरी मृगी उस स्थान पर आई । पुन्न बहेलिया के निशाना साधते ही उस मृगी ने भी निवेदन किया कि – ” मैं अभी ऋतु क्रिया से निवृत सकामा हूँ इसलिए मुझे पति समागम करने दीजिए , मारिए नहीं । मैं मिलने के पश्चात स्वयं तुम्हारे पास आ जाऊंगी । ”

बहेलिये ने उसकी बात भी स्वीकार कर ली ।

रात्रि की तृतीय वेला में एक तीसरी हिरणी छोटे-छोटे छौनों को लिए उसी जलाशय में पानी पीने आई । बहेलिया ने उसको भी देखकर धनुष बाण उठा लिया तब वह हिरनी बोली – ” हे व्याध ! मैं इन छौनों को हिरण के संरक्षण में कर आऊं तो तुम मुझे मार डालना । ” बहेलिया ने दीन वचनो से प्रभावित होकर उसे भी छोड़ दिया । प्रातः काल के समय एक साथ माँसल बलवान हिरण इस सरोवर पर आए । बहेलिया ने पुन्न अपने स्वभाव अनुसार शरसंधान करना चाहा । यह क्रिया देखते ही हिरण व्याध से प्रार्थना करने लगे ।

” हे व्याध राज ! मुझसे पूर्व अपने आने वाली तीन हिरणियों को यदि तुमने मारा है तुम मुझे भी मारिए अन्यथा उन पर तरस खाकर , जब वह तुम्हारे द्वारा छोड़ दी गई हो तो मुझे उनसे मिलकर आने पर मारना । मैं ही उनका सहचर हूं हिरण की करुणामई वाणी सुनकर बहेलिया ने रात भर की बीती बात कह सुनाई तथा उसे भी छोड़ दिया ।

दिन भर उपवास पूरी रात जागरण तथा शिव प्रतिमा पर बेलपत्र गिराने (चढ़ाने ) के कारण बहेलिया में आंतरिक शुचिता आ गई । उसका मन निर्दयता से कोमलता में ऐसा बदला की हिरण परिवार को लौटने पर भी न मारने का निश्चय कर लिया ।

भगवान शंकर के प्रभाव से उसका हृदय इतना पवित्र तथा सरल हो गया कि वह पूर्ण अहिंसावादी बन गया । उधर हिरणियों से मिलने के पश्चात हिरण ने बहेलिया के पास आकर अपनी सत्यवादी का परिचय दिया ।

उनके सत्याग्रह से प्रभावित होकर व्याध अहिंसा परमो धर्म का पुजारी हो गया । उसकी आंखों से आंसू छलक आए तथा पूर्वकृत कर्मों पर पश्चाताप करने लगा । इस पर स्वर्ग लोक से देवताओं ने व्याध की सराहना की तथा भगवान शंकर ने दो पुष्प विमान भेजकर बहेलिया तथा मृग परिवार को शिवलोक का अधिकारी बनाया ।

हर हर महादेव !

 

 

 

 

 

 

Leave a Comment

Bhakti Bliss