हरियाली तीज महत्त्व एवं पूजा विधि :
त्योहारों के देश भारत में 3 प्रकार के तीज उत्सव मनाए जाते है , पहला हरियाली तीज या श्रावणी तीज जो सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनायी जाती है | कहा जाता है कि इस दिन पार्वती माता द्वारा की गयी बड़ी कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने माँ पार्वती को दर्शन दिए थे और उन्हें पत्नी स्वरुप में स्वीकार किया था | तीज का त्यौहार उत्तर भारतीय राज्यों, विशेषकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में महिलाओं द्वारा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
इसी के साथ हरियाली तीज के पीछे एक महत्त्व यह भी है की इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को झूला झुलाया था | हरियाली तीज को छोटी तीज भी कहा जाता है |
दूसरा है कजरी तीज या सातुड़ी तीज | इसे भाद्रमास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाते है |
तीसरा है हरतालिका तीज जिसे तीजा के नाम से भी जाना जाता है | इसे भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है | यह त्यौहार अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला कठोर व्रत रखते हुए मनाया जाता है | हरतालिका तीज को बड़ी तीज कहते है |
हरियाली तीज पूजा की विधि इस प्रकार है :
- हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियां स्नान आदि से निवृत होकर , साफ हो सके तो नए वस्त्र धारण करे |
- पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पार्वती के साथ भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करे |
- माँ पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री , साड़ी , धूप ,दीप , गंध आदि अर्पित करे |
- शिव जी को भांग , धतूरा , अक्षत , बेल – पत्र अदि चढ़ाये |
- गणेश जी की पूजा के बाद हरियाली तीज की कथा सुने |
हरियाली तीज पूजा:
रविवार, 27 जुलाई 2025 को हरियाली तीज
तृतीया तिथि प्रारंभ – 26 जुलाई 2025 को रात्रि 10:41 बजे से
तृतीया तिथि समाप्त – 27 जुलाई 2025 को रात्रि 10:41 बजे
हरियाली तीज विशेष :
हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं के लिए मौज मस्ती का दिन होता है । वैसे तो हरियाली तीज के दिन कोई धार्मिक पूजा या व्रत नहीं होता पर मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती माता के पुनर्मिलन के उपलक्ष में उनकी उपासना कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए ।
आज के दिन हाथों पर मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है । इस त्यौहार पर अधिकांश लड़कियां मायके में बुला ली जाती हैं और जिस लड़की की इस वर्ष शादी होती है उसकी ससुराल से इस अवसर पर सिंधारा ( कपड़े , मेहंदी , सिंगर का सामान , फल , मिठाई (घेवर) भेजा जाता है । और इसी तरह मायके से कपड़े ,फल , मिठाई आदि ससुराल भेजे जाते हैं ।
हरियाली तीज का त्यौहार भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं वैवाहिक सुख और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए देवी पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज के दौरान विवाहित महिलाएं अपने माता-पिता के घर जाती हैं, नए कपड़े पहनती हैं, खासकर हरी साड़ी और चूड़ियाँ, झूले तैयार करती हैं और तीज के गीत गाते हुए झूला झूलती हैं।
हरियाली तीज कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार , माता सती ने हिमालय राज के घर माता पार्वती के रूप में पूर्नजन्म लिया । पार्वती माता ने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना कर ली थी । कुछ समय बाद जब पार्वती माता विवाह योग्य हो गई तो पिता हिमालय उनकी शादी के लिए योग्य वर तलाशनें लगे ।
एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के पास गए और उनकी चिंता सुनकर उन्होंने योग्य वर के रूप में भगवान विष्णु का नाम सुझाया । हिमालय राज को भी भगवान विष्णु दामाद रूप में पसंद आए और उन्होंने अपनी रजामन्दी दे दी ।
पिता हिमालय के हां करने पर पार्वती माता चिंतित हो गई , क्योंकि उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने की कामना पहले से ही कर रखी थी । इसलिए भगवान शिव को पाने के लिए उन्होंने एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने का संकल्प लिया । वहा माँ पार्वती अपनी सखियों के साथ गयी थी । वहां जाकर उन्होंने रेत से एक शिवलिंग बनाए और अपनी तपस्या प्रारंभ की ।
कई सालों की कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने मां पार्वती को दर्शन दिए । माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया ।
जब पर्वत राज हिमालय को बेटी पार्वती के मन की बात पता चली तो वह भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए और उनका विवाह तय कर दिया । तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है ।
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