बृहस्पतिवार व्रत धारण करने की विधि और महत्व :
इस दिन बृहस्पति ईश्वर महादेव जी की पूजा होती है । दिन में एक समय ही भोजन करें । पीले वस्त्र धारण करें । पीले पुष्पों को धारण करें । भोजन भी चने की दाल का होना चाहिए । इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए । पीले रंग का फूल , चने की दाल , पीले कपड़े तथा पीले चंदन से पूजा करनी चाहिए । पूजन के बाद कथा सुननी चाहिए । बृहस्पतिवार व्रत के करने से बृहस्पति जी अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं । और धन तथा विद्या का लाभ देते हैं । स्त्रियों के लिए यह बृहस्पतिवार व्रत अति आवश्यक है इस व्रत में केले का पूजन होता है ।
बृहस्पतिवार व्रत की कथा :
किसी गांव में एक साहूकार रहता था जिसके घर में अन्य , वस्त्र और धन किसी चीज की कमी नहीं थी । परंतु उसकी पत्नी बहुत ही कृपण थी । वह किसी भिक्षार्थी को कुछ नहीं देती थी । सारे दिन घर के काम-काज में लगी रहती थी । एक बार एक साधु महात्मा बृहस्पतिवार के दिन उसके द्वारा पर आए और भिक्षा की याचना करने लगे । वह उसे समय घर के आंगन को लीप रही थी । इस कारण साधु महात्मा से कहने लगी – ” महाराज ! इस समय तो मैं घर को लीप रही हूं । आपको कुछ नहीं दे सकती । आप किसी और दिन आ जाना । ” साधु महात्मा खाली हाथ चले गए ।
कुछ दिन के बाद वही साधु महात्मा फिर आए और उसी तरह भिक्षा मांगी । साहूकारिनी उस समय अपने बेटे को खिला रही थी । वह कहने लगी – ” महात्मा ! मैं क्या करूं ? मेरे पास समय नहीं है । इसलिए आपको भिक्षा नहीं दे सकती । “
तीसरी बार साधु महात्मा आए तो उसने उन्हें किसी तरह टालना चाहा परंतु साधु महात्मा कहने लगे – ” यदि तुम को बिल्कुल ही अवकाश हो जाए तो मुझको भिक्षा दोगी ? ” साहूकारिनी भी कहने लगी – ” हां महाराज ! यदि ऐसा हो जाए तो मैं आपको भिक्षा दूंगी और आपकी बड़ी कृपा होगी । ” साधु महात्मा कहने लगे – ” अच्छा , मैं एक उपाय बताता हूं ।
तुम बृहस्पतिवार को दिन चढ़ने पर उठो और सारे घर में झाड़ू लगाकर कूड़ा एक कोने में जमा करके रख दो । घर में चौका इत्यादि मत लगाओ । फिर स्नान आदि करके घर वालों से कह दो उस दिन सब हजामत अवश्य बनवाएं । रसोई बनाकर चूल्हे के पीछे रखा करो । सामने कभी ना रखो । सांयकाल को अंधेरा होने के बाद दीपक जलाया करो । बृहस्पतिवार के दिन कभी पीले वस्त्र धारण मत करना , और ना ही पीले रंग की कोई चीज भोजन में ग्रहण करना । यदि ऐसा करोगी तो तुमको घर का कोई काम नहीं करना पड़ेगा । ” साहूकारिनी ने ऐसा ही किया ।
कुछ समय बाद उसके घर में खाने को दाना न रहा । थोड़े ही दिनों में वही साधु महात्मा फिर आए और भिक्षा मांगी । साहूकारिनी ने कहा – ” महाराज ! मेरे घर में खाने को अन्न नहीं है । आपको क्या दूं ? ” तब साधु महात्मा ने कहा – ” जब तुम्हारे घर में सब कुछ था तब भी तुम कुछ नहीं देती थी । अब पूरा-पूरा अवकाश है तब भी कुछ नहीं दे रही हो । तुम क्या चाहती हो ? वह कहो । “
तब साहूकारिनी ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की – ” महाराज ! अब आप कोई ऐसा उपाय बताओ कि मेरे पास पहले जैसा धन-धन्य हो जाए । अब मैं प्रतिज्ञा करती हूं कि जैसा आप कहेंगे वैसा ही करूंगी । ” तब साधु महात्मा ने कहा – ” बृहस्पतिवार को प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत हो घर को गौ के गोबर से लीपो तथा घर के पुरुष हजामत न बनवाएं । भूखे को अन्य जल देती रहा करो । ठीक सांयकाल दीपक जलाओ । यदि ऐसा करोगी तो तुम्हारी सब मनोकामनाएं भगवान बृहस्पति जी की कृपा से पूर्ण होगी । “
साहूकारिनी ने ऐसा ही किया और उसका घर धन-धान्य से भरपूर हो गया ।
बृहस्पति महाराज जी की जय !