शुक्रवार व्रत – In 2025 Fasting on Friday will fulfill all your wishes !

शुक्रवार व्रत धारण करने की विधि और महत्व :

शुक्रवार का व्रत आप किसी भी माह की शुक्ल पक्ष तिथि के पहले शुक्रवार से रख सकते हैं । शुक्रवार को देवी महालक्ष्मी का व्रत रखना चाहिए इसे वैभव लक्ष्मी व्रत भी कहते हैं ।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी देवी को समर्पित है । लक्ष्मी माता धन की देवी है और माँ लक्ष्मी को चंचला नाम से भी जाना जाता है । चंचला का मतलब ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं होता है । इस व्रत को कोई भी धारण कर सकता है । इस दिन शुक्र देव की पूजा का विधान है |

जिनकी कुंडली में शुक्र दोष है वह इस व्रत को अवश्य रखें | इस व्रत को रखने से घर परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत बनती है। पूजन से पहले कलश को जल से भरे , उसके ऊपर गुड़ चने से भरा कटोरा रखें , शुक्रवार व्रत कथा समाप्त होने पर आरती होने के बाद कलश के जल को घर में सब जगह पर छिड़के और बचा हुआ पानी तुलसी जी की क्यारी में डाल दे ।

शुक्रवार व्रत की विधि इस प्रकार है :

  • शुक्रवार के दिन आप सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करें और सफेद आसन पर बैठकर माँ लक्ष्मी का पूजन करें ।
  • लक्ष्मी माता की तस्वीर या मूर्ति लेकर चरणा अमृत या गंगाजल से शुद्ध करके स्थापित करें ।
  • लक्ष्मी माता को हल्दी , चंदन और रौली का तिलक करेंगे , और घी का दीपक जलाएं । माता को चुनरी पहनाइए । वस्त्र में मौली चढ़एंगे । लक्ष्मी माता को सफ़ेद , गुलाबी या लाल रंग के फूल अर्पित करके फल भी अर्पित करें ।
  • इसके बाद कथा और आरती कर माँ को भोग लगाए ।
  • इसके बाद लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए ।

शुक्रवार व्रत

शुक्रवार व्रत की कथा :

एक बार एक बूढ़ा ब्राह्मण था । वह रोज पीपल सीचने जाता था | एक दिन की बात है , जैसे ही वह पीपल सीचने लगा उसी समय पीपल के पेड़ में से एक लड़की निकलती है और कहती है – ” पिताजी मैं आपके साथ घर जाऊंगी ” | ऐसा अक्सर रोज होने लगा | यह सब सोचकर वह बूढ़ा ब्राह्मण दिन प्रतिदिन कमजोर होने लगा | उसकी ऐसी हालत देखकर एक दिन उसकी पत्नी ने पूछा – ” क्या बात है , आप इतने परेशान क्यों है ? ”

तब वह बूढ़ा ब्राह्मण बोले कि – ” हर रोज पीपल में से एक लड़की निकलती है और यह कहती है कि पिताजी मैं आपके साथ घर जाऊंगी “। तब ब्राह्मण की पत्नी बोली -” इसमें परेशानी की क्या बात है , कल उसे घर ले आना । जैसे 6 बेटियां रहती हैं , वैसे सातवीं भी रह लेगी “। अगले दिन बूढ़ा ब्राह्मण उस लड़की को घर ले आया ।

लड़की को घर ले आने के बाद वह ब्राह्मण आटा मांगने गया , तो उसे पहले दिनों की बजाय आज ज्यादा आटा मिला। जब ब्राह्मण की पत्नी आटा छानने लगी तो लड़की ने कहा – ” मैं छान देती हूँ अम्मा “। उसके बाद जब बुढ़िया अम्मा खाना बनाने लगी तो लड़की ने कहा कि मां आज मैं खाना बनाऊंगी । यह सुनकर अम्मा ने कहा , नहीं बेटी तेरे हाथ जल जाएंगे । पर लड़की नहीं मानी और वह रसोई घर में भोजन बनाने चली गई । उस लड़की ने तरह-तरह के व्यंजन बनाएं और पूरे परिवार ने पेट भरकर भोजन किया । इससे पहले वह सब आधा पेट भूखे ही रह पाते थे ।

जब रात हो गई तो ब्राह्मण की पत्नी का भाई घर में आया और भोजन के लिए कहने लगा । वह सोचने लगी कि अब भोजन कहां से आएगा ? अम्मा को परेशान देख लड़की पूछने लगी कि – “क्या हुआ ” ? आप परेशान क्यों दिखती हो तब अम्मा ने कहा कि -” मेरा भाई आया है ,और वह भूका है ,भोजन करने के लिए कह रहा है , परंतु हम सब भोजन कर चुके हैं और घर में उसके लिए कुछ नहीं है “।

लड़की ने कहा कि -” आप चिंता ना करें मामा के लिए भोजन मैं बना दूंगी “। यह कहकर वह रसोई में चली गई और 36 तरह के पकवान बनाएं । और अम्मा के भाई ने बहुत खुश होकर वह भोजन ग्रहण किया ।

शाम हुई तो उस लड़की ने अम्मा को कहा कि -” चौका लगाकर चौके का दिया जला देना , आज मैं कोठरी में सोऊंगी ” । यह सुनकर अम्मा ने कहा कि -” नहीं बेटी वहां अकेली नहीं सो , तू डर जाएगी “। पर वह लड़की नहीं मानी वह कहने लगी कि -” मैं नहीं डरूंगी मैं कोठरी में ही सोऊंगी “। और वह लड़की कोठरी में जाकर सो गई । आधी रात को वह लड़की उठी और उसने चारों तरफ अपनी नजर दौड़ाई , तो उस कोठरी में धन ही धन हो गया । वह कोठरी खूब धन और अनाज से भर गई ।

उसके बाद वह लड़की उस घर से बाहर निकली । बाहर एक व्यक्ति सो रहा था । उसकी आंख अचानक खुली और उसने देखा कि एक लड़की अम्मा के घर से निकल रही है । उस व्यक्ति ने उस लड़की से पूछा की बेटी – “आधी रात को तू कहां जा रही है “? तो उस लड़की ने कहा – ” मैं दरिद्रता दूर करने आई थी , अगर तुम्हें भी दरिद्रता से छुटकारा चाहिए तो तुम भी छुटकारा करवा लो ” । तब उस लड़की ने उस व्यक्ति के घर की तरफ देखा और उस घर को भी धन-धान्य से भरपूर कर दिया ।

जब सुबह हुई तो अम्मा ने लड़की को बुलाने के लिए कोठरी में जाने का सोचा । वहां जाकर उसने देखा कि वहां तो लड़की नहीं थी । वह घर से बाहर आकर उसे लड़की को ढूंढने लगी । वहां वह व्यक्ति मिला जो बाहर सो रहा था । उसने अम्मा को रात की सारी बात बताई , और कहा कि -” साक्षात महालक्ष्मी आपके और मेरे घर पर कृपा करके गई है ” ।
यह सुनकर ब्राह्मण की पत्नी की आँखे ख़ुशी से भर आयी और वह मन ही मन मां को प्रणाम करने लगी |

शुक्रवार व्रत के फायदे :

  • शुक्रवार व्रत से नव ग्रहो की शांति होती है |
  • यह व्रत कुंडली में होने वाले ग्रह दोषो और अशुभ ग्रहो की दशाओं को कम करने के लिए अति फलदायक है |
  • शुक्रवार व्रत करने से माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है और व्यक्ति के सारे कार्य सफल होते है |

शुक्रवार व्रत में क्या खाएं ?

  • इस दिन चावल की खीर का भोग मां लक्ष्मी को जरूर लगाए साथ ही इस दिन शक्कर से बने पदार्थ का भोजन में उपयोग करें ।
  • व्रत के दौरान उपासक को एक समय ही सात्विक भोजन करना चाहिए ।

शुक्रवार व्रत में करें 11 , 7 या 3 बार इस मंत्र का जाप तो होगी विशेष कृपा :

” ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः || “

इसके साथ-साथ आप शुक्र देव का मंत्र जाप भी कर सकते है |

” ॐ शुं शुक्राय नमः || “

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