प्रतिपदा : माँ शैलपुत्री
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ।।
माँ दुर्गा अपने पहले स्वरुप में “शैलपुत्री” के नाम से जानी जाती है | पर्वतराज हिमालय के यहाँ पुत्री के रूप में उतपन्न होने के कारण इनका यह शैलपुत्री नाम पड़ा था | वृषभ – स्थिता इन माताजी के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल – पुष्प सुशोभित है | यह नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है |
नव दुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियाँ अनन्त है | नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस इन्ही की पूजा और उपासना की जाती है | इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते है | यहीं से उनकी योगसाधना का प्रारम्भ होता है |
नवरात्रि के पहले दिन का रंग- नारंगी
नवरात्रि पूजा के पहले दिन नारंगी रंग पहनकर देवी नवदुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति को अत्यंत उत्साह जैसे गुणों की प्राप्ति होती है। यह रंग सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है और व्यक्ति को उत्साहित रखता है।