तृतीया: माँ चन्द्रघण्टा
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||
माँ दुर्गा जी की तीसरी शक्ति का नाम ” चन्द्रघण्टा ” है । नवरात्र उपासना के तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन आराधना किया जाता है । इनका यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है । इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है , इसी कारण से इन्हें चन्द्रघण्टा देवी कहा जाता है । इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है । इनका वाहन सिंह है ।
हमें चाहिए कि अपने मन , वचन , कर्म एवं काया को विहित विधि विधान के अनुसार पूर्णत: परिशुद्ध एवं पवित्र करके मां चन्द्रघण्टा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना में त्तपर हो । उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कासन से विमुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं ।
नवरात्रि के तीसरे दिन का रंग- लाल
नवरात्रि पूजा के तीसरे दिन लाल रंग पहनकर देवी नवदुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति अत्यंत प्रेम , भाव और जूनून भरपूर रहता है । भारतीय परंपरा के अनुसार, लाल रंग शक्ति या पराक्रम का रंग है और आमतौर पर उन देवताओं से जुड़ा होता है जिनमें बुराई को नष्ट करने की क्षमता होती है।