4. माँ कुष्मांडा – Let’s take blessings from supreme power Maa Kushmanda on fourth day of Navratri !

चतुर्थी : माँ कुष्मांडा

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्मभ्यं कुष्मांडा शुभदास्तु मे॥

 माँ कुष्मांडा

माँ दुर्गा चौथे स्वरुप का नाम ” कुष्मांडा” है | अपनी मंद , हल्की हँसी द्वारा अण्ड अर्थात् ब्रह्माण्ड को उतपन्न करने के कारण इन्हे कुष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है | नवरात्रि पूजन के चौथे दिन कुष्मांडा देवी के स्वरुप की उपासना की जाती है | इस दिन साधक का मन ‘ अनाहत ‘ चक्र में अवस्थित होता है | अतः पवित्र मन से पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए |

माँ की उपासना मनुष्य को सहज भाव से भव सागर से पार उतारने के लिए सर्वधिक सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है | माँ कुष्मांडा की उपासना मनुष्य को आधियो – व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख , समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है | अतः अपनी लौकिक परलौकिक उन्नति चाहने वालो को इसकी उपासना में सदैव त्तपर रहना चाहिए |

नवरात्रि के चौथे दिन का रंग- शाही नीला
नवरात्रि पूजा के चौथे दिन शाही नीला रंग का परिधान पहनकर देवी नवदुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर बहादुरी, दृढ़ संकल्प और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने की क्षमता के गुणों प्रकट होते है ।

नवरात्रि पूजा का महत्व एवं पूजा विधि !

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