सप्तमी : माँ कालरात्रि
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी |
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी ||
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति “ कालरात्रि “ के नाम से जानी जाती है | माँ कालरात्रि का स्वरुप देखने में अत्यंत भयानक है , लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली है | इसी कारण इनका एक ” शुभंकरी “ भी है | दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है | इस दिन साधक का मन “ सहस्रार “ चक्र में स्थित रहता है | उसके लिए ब्रह्माण्ड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है | इस चक्र में स्थित साधक का मन पूणर्तः माँ कालरात्रि के स्वरुप में अवस्थित रहता है | माँ काल रात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैं जिससे साधक भयमुक्त हो जाता है |
नवरात्रि के सातवें दिन का रंग- ग्रे
ग्रे रंग जीवन में सफलता और उपलब्धियों का समर्थन करता है। ग्रे रंग संतुलित भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है और व्यक्ति को जमीन से जुड़ा रखता है।