अक्षय तृतीया 2025 महत्त्व :
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से पुकारा जाता है | इस दिन को आखातीज एवं आखा तृतीया के नाम से भी जाना जाता है | यह तिथि भगवान परशुराम का जन्म दिन होने के कारण ” परशुराम ” तीज भी कही जाती है |
इस दिन श्री लक्ष्मी नारायण जी सहित भगवान नारायण की पूजा की जाती है | सबसे पहले भगवान की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करना चाहिए | उन्हें पुष्प आदि अर्पित करके धुप – दीप से आरती उतारकर चंदन लगाना चाहिए | मिश्री और भीगे हुए चनों का भोग लगाना चाहिए | भगवान को तुलसी -दल और नैवेद्य अर्पित क्र ब्राह्मणों को श्रद्धानुसार दान करें |
इस दिन स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए कलश , पंखा , खड़ाऊ , छाता , ककड़ी , खरबूजा आदि फल , शक़्कर आदि पदार्थ ब्राह्मणों को दान करना चाहिए | इस दिन गंगा स्नान का भी बड़ा भरी महात्म्य है |
आईये जानते है अक्षय तृतीया 2025 पूजा मुहूर्त का समय और दिन कब है ?
अक्षय तृतीया 2025 में जानते है इस दिन से जुड़े कुछ विशेष मान्यता :
- लोग अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं जिन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है।
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन हुई थी।
- वृन्दावन में केवल आज ही के दिन बिहारी जी के पाँव के दर्शन होते हैं |
- किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए स्वयंसिद्ध दिन माना जाता है |
- ऐसा माना जाता है की इस पवित्र दिन ही श्री कृष्ण और उनके प्रिये मित्र सुदामा का पुनर्मिलन हुआ था |
- जैन धर्म में भी अक्षय तृतीया का बहुत महत्व है। यह एक पवित्र दिन है क्योंकि जैन लोग इस दिन अपना 8 दिनों का उपवास (अथाई) – वर्षी तप पारण समाप्त करते हैं।
- भारतीय परंपरा कहती है कि पवित्र नदी गंगा अक्षय तृतीया पर पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।
अक्षय तृतीया 2025 दिन एवं मुहूर्त समय :
बुधवार, अप्रैल 30, 2025 को अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया 2025 पूजा मुहूर्त – सुबह 05:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक
तृतीया तिथि आरंभ – 29 अप्रैल 2025 को शाम 05:31 बजे
तृतीया तिथि समाप्त – 30 अप्रैल, 2025 को दोपहर 02:12 बजे
आख्या तृतीया या आखातीज व्रत की कथा:
अत्यंत प्राचीन काल की बात है, महोद्य नाम का एक व्यक्ति कुशल नगरी में वास करता था | सौभाग्यवश महोदय को एक पंडित द्वारा इस शुभ दिन के व्रत का विवरण प्राप्त हुआ | उसने भक्ति बाव से विधि व नियम अनुसर वत रखा | व्रत के प्रताप से महोदय कुशावती का शक्तिशाली राजा हो गया | उसका कोष हमेशा स्वर्ण मुद्रायो, हीरे जवाहरतो से भरा रहता था | राजा स्वभाव से दानी भी था | उदार मन होकर मुक्त हस्त दान देता था |
एक बार राजा के वैभव से आकर्षण होकर कुछ जिज्ञासु व्यक्तियों ने राजा से उनकी समृद्धि का कारण पूछा | राजा ने स्पष्ट रूप से अपने आख्या तृतीया व्रत की कथा सुनाई और यह कहा कि सब कुछ आखातीज के व्रत की कृपा से ही हुआ है | राजा से यह सुनकर उन जिज्ञासु पुरुषो और राजा की प्रजा ने राजा के नियम और विधान सहित यह व्रत रखना प्रारम्भ कर दिया | इस व्रत के पुण्य प्रताप से सभी नगर-निवासी, धन-धान्य से पूर्ण होकर वैभवशाली और सुखी हो गए |
हे ! अक्षय तीज माता ! इस साल हम सभी भक्तो का कल्याण करना , जैसे अपने महोदय को वैभव और राज्य दिया वैसा ही अपने सभी भक्तों एवं श्रद्धालुओ को धन और सुख देना | सब पर अपनी कृपा बनाये रखना | आपसे हमारी ऐसी प्रार्थना है |
अक्षय तीज का दिन है कुछ खास , आईये जानिए कैसे ?
हिंदू ज्योतिष के अनुसार तीन चंद्र दिवस – उगादी, अक्षय तृतीया और विजय दशमी को किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने या करने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि ये तीन दिन सभी अशुभ प्रभावों से मुक्त होते हैं।